Saturday, December 22, 2007

समकालीन विडंबना

एक कविता इस ब्लोग पर मैं फिर दे रहा हूँ। सवाल यह है कि लेख क्यों नहीं, वह इसलिए कि, जो मैं कहना चाहता हूँ उसके लिए आप सभी को हजार शब्द पढ़ने के लिए क्यों कष्ट उठाने दूँ, यह कविता उसकी अभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त है। पढे और प्रतिक्रिया करें।

समकालीन विडंबना

मुझे कुछ करना चाहिए
सिवाए सोचने के
मैं कुछ नहीं करता