Friday, April 25, 2008

क्रिकेट का बाजार भाव

पिछले दिनों से क्रिकेट में एक बूम आया है २० ट्वेंटी को लेकर। यह क्रिकेट का आधुनिकतम रूप है। इस पर यह बहस चलाई जा रही है कि सभ्य लोगों के खेल में इस तरह का बदलाव सही नहीं है। इसे बिकनी क्रिकेट कहा जा रहा है। यह ग्लैमर से भरपूर है। भारतीय दर्शकों के लिए जो क्रिकेटरों को भगवान मानते हैं और क्रिकेट की पूजा करते हैं यह बहुत ही रोमांचक बदलाव की तरह लग रहा है। यद्यपि कुछ पुराने क्रिकेटरों की तरह पुराने दर्शक यानी क्रिकेट प्रेमी इस बदलाव से नाखुश है। अब तो सचिन तेंदुलकर ने भी यह कह दिया कि इससे एकदिवसीय क्रिकेट का नुकसान होगा पर टेस्ट क्रिकेट का नहीं। कुछ इस तरह की आशंका उस समय भी जाहिर की गई थी, जब एकदिवसीय क्रिकेट को लाया गया था।
जब एकदिवसीय क्रिकेट की अवधारणा को मूर्त रूप दिया जा रहा था तब उसके पैरोकारों ने यह कहा था, कि इससे क्रिकेट का पूरी दुनिया में विस्तार होगा। ऐसा हुआ नहीं। अब भी 20 ट्वेंटी के पैरोकार इसी बात की दुहाई दे रहे हैं।
यदि इस खेल की बारीकियों को देखा जाये तो पता चलता है कि इसके पैरोकारों को क्रिकेट के विस्तार से कुछ लेना-देना नहीं है बल्कि यह बाजार के विस्तार का खेल है। ग्लैमर से भरपूर क्रिकेट के इस नवीनतम रूप में जिस तरह से खिलाड़ियों की बोली लगाई गई और इससे फिल्मी सितारों को जोड़ा गया है, वह इस बात की पुष्टि करता है। चुंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार ने तीसरी दुनिया में व्यापक विस्तार पा लिया है और उसे उपभोक्ताओं को रिझाने के लिए कई हथकंडे अपनाने पड़ रहे हैं। भारत जैसे विशाल मार्केट वाले देश में क्रिकेट बाजार को विस्तार देने के लिए एक महत्वपूर्ण जरिया है और इसे प्रमोट करने में दुनिया की नामी-गिरामी कंपनियों में होड़ मची हुई है। इस खेल को धन का खेल कहा जाता है। क्रिकेट सटोरियों का भी प्रिय खेल है और कई ऐसे स्कैंडल देखने को मिलते रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि क्रिकेट को बढ़ावा देने के पीछे खेल भावना का मामला नहीं है बल्कि सिर्फ बाजार के विस्तार का मामला है। यदि ऐसा नहीं होता तो क्यों सिर्फ इसी खेल को प्रमोट करने और इसके खिलाड़ियों को ज्यादा तव्वजों दिए जाने के मामले हमारे सामने होते।
हमें यह देखना होगा कि खेल और ग्लैमर को अलग-अलग करने के लिए किस तरह की नीतियों की जरूरत होगी। खिलाड़ियों को विज्ञापनों में काम करने के मामले को लेकर भी नए सिरे से बहस चलाने की जरूरत है।
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1 comment:

vrij Nandan said...

good yar aapne bahut achha likha hai